tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post3609196264990588787..comments2024-03-28T13:01:33.068+05:30Comments on समय के साये में: और तब ईश्वर का क्या हुआ? - 4Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-38456722279190062032012-06-25T22:10:18.895+05:302012-06-25T22:10:18.895+05:30वर्ड प्रेस पर ही समय की टिप्पणी:
प्रिय सिद्धार्थ,...वर्ड प्रेस पर ही समय की टिप्पणी:<br /><br />प्रिय सिद्धार्थ,<br />इतना ही बहुत नहीं है। :-)<br /><br />मिठाई तो आपकी पक्का बनती है। शायद कभी अवसर बने।<br />आप हम प्रस्तोता भक्तों के, पाठक भगवान है, अतएव जैसी की वास्तविकता है, भक्त अपने भगवानों को भोग लगाने को अभिशप्त हैं। हे देव, आप अपने भाग को ग्रहण कीजिए। :-)<br /><br />शुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-62545879686382227432012-06-25T22:09:24.979+05:302012-06-25T22:09:24.979+05:30वर्ड प्रेस पर सिद्धार्थ जोशी की टिप्पणी:
Sidharth...वर्ड प्रेस पर सिद्धार्थ जोशी की टिप्पणी:<br /><br />Sidharth Joshi commented on और तब ईश्वर का क्या हुआ? - 4<br /><br />एक शानदार शृंखला... आभार, धन्यवाद, साधुवाद।<br /><br />गीता के प्रथम अध्याय में कृष्ण कहते हैं अनुभव से प्राप्त ज्ञान ही विज्ञान है...<br /><br />क्या इतना ही बहुत है... :)<br /><br />बहुत दिन बाद फिर से आपका नियमित पाठक बना हूं। आपको मुझे मिठाई खिलानी चाहिए... :) भगवान भक्तों के लिए क्या नहीं करते, वैसे ही लेखकों को अपने पाठकों के लिए करना चाहिए... पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि मैं आपको जानने लगा हूं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-23934583511682218352012-06-24T19:22:43.229+05:302012-06-24T19:22:43.229+05:30मित्र सिद्धार्थ,
आपकी टिप्पणियां वर्डप्रेस पर सुरक...मित्र सिद्धार्थ,<br />आपकी टिप्पणियां वर्डप्रेस पर सुरक्षित हैं।<br />शुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-2220058303334010832012-06-22T02:50:53.893+05:302012-06-22T02:50:53.893+05:30मैंने टिप्पणी की थी, पता नहीं कहां गई। यहां थी या...मैंने टिप्पणी की थी, पता नहीं कहां गई। यहां थी या वर्डप्रेस पर यह भी भूल गया।<br /><br />अच्छी जानकारी, मनोविज्ञान शृंखला खत्म होने के साथ ही फिर से आपका पाठक बन गया हूं।Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-39204938889071726592012-06-17T10:18:30.288+05:302012-06-17T10:18:30.288+05:30गूढ विषय और बेहतीन विश्लेषण । द्विवेदी जी से सहमत ...गूढ विषय और बेहतीन विश्लेषण । द्विवेदी जी से सहमत । आम पाठकों के लिए थोडा सा कठिन मगर जरूरी भीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-36205327407091734142012-06-16T19:03:32.694+05:302012-06-16T19:03:32.694+05:30आवश्यक आलेख।
किन्तु सामान्य पाठक वर्ग के लिए नहीं।...आवश्यक आलेख।<br />किन्तु सामान्य पाठक वर्ग के लिए नहीं। यदि कुछ सहज अनुवाद होता तो शायद बेहतर होता।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com