tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post5957077464540796129..comments2024-03-29T08:04:38.866+05:30Comments on समय के साये में: मित्रों के बीच और परस्पर समझ के रूप में संप्रेषणAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-20355962861861223272011-02-09T07:28:35.608+05:302011-02-09T07:28:35.608+05:30आपका ब्लाग अचछा लगा,
‘खासकर चीजो को बदलने के के दौ...आपका ब्लाग अचछा लगा,<br />‘खासकर चीजो को बदलने के के दौरान मनुष्य का खुद बदल जाना’Inqlabimazdoorkendrahttps://www.blogger.com/profile/12938596913842917141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-85086112954485372412011-02-08T16:32:05.654+05:302011-02-08T16:32:05.654+05:30आपकी हर पोस्ट संग्रहणीय होती हैं. विचारोत्तेजक,सार...आपकी हर पोस्ट संग्रहणीय होती हैं. विचारोत्तेजक,सारगर्भित आलेख श्रृंखलाओं के लिए आभार.<br />आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!<br />सादर,<br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-28567993557416723482011-02-07T13:24:37.358+05:302011-02-07T13:24:37.358+05:30यह समय साधना चलती रहे ,,बीच बीच में चुपके से आके प...यह समय साधना चलती रहे ,,बीच बीच में चुपके से आके पढ़ जाता हूँ .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-77847945321279456342011-02-06T01:21:21.269+05:302011-02-06T01:21:21.269+05:30भरे बाजार में जब कोई गाहक नहीं मिलता तो हीरे को भी...भरे बाजार में जब कोई गाहक नहीं मिलता तो हीरे को भी जिन्से रायगाँ कहना ही पड़ता है ! इस अंतर्जाल पर गिने चुने लोग ही कोई सार्थक काम कर रहे हैं उनमें से एक आप हैं ! आभार !श्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.com