tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post945229960112672816..comments2024-03-29T14:39:00.237+05:30Comments on समय के साये में: क्रमविकास किस प्रकार होता है?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-31428309679375968352014-03-01T19:30:12.637+05:302014-03-01T19:30:12.637+05:30हे आधारभूत आदरणीय,
यहां भी वही कह सकते हैं कि अभी...हे आधारभूत आदरणीय,<br /><br />यहां भी वही कह सकते हैं कि अभी आपके प्रश्न या जिज्ञासाएं, काल्पनिक लोक में अधिक विचरण करते लगते हैं। यदि वास्तविकता के धारतल पर आप इन्हें प्रस्तुत कर सकें तो शायद हम साथ-साथ इनसे जूझ सकते हैं।<br /><br />जब आप किसी भौतिक संरचना के विकास को समझना चाहते हैं, तो उसको वास्तविकता में लाइए, उसके घटकों को निश्चित कीजिए, उनके आपसी संबंधों को जांचिए। उनके मध्य अंतर्विरोधों के संघर्ष और एकता को समझिए। घटकों के बीच के इस द्वंद्व को समझने पर यह भी समझ में आएगा कि फिर उनमें होने वाला परिवर्तन किसको और कैसे प्रभावित करेगा या करता है। अभी हम यहां पर द्वंद्ववाद पर काफ़ी सामग्री प्रस्तुत करने वाले हैं, उससे गुजरने पर आप अपने को और भी बेहतर स्थिति में पा सकते हैं। साथ बनाए रखिए।<br /><br />पाइथागोरस जी के कथन से सहमति या असहमति का प्रश्न नहीं है, समस्या उन्हें समझने की है और इस समझने की प्रक्रिया में ही, यह भी समझने की है ज्ञान का भी क्रमविकास होता है, कि शनैः शनैः मानवजाति का ज्ञान आगे की और बेहतर होता और समृद्ध होता जाता है। हमारे प्राचीन दार्शनिक अपनी कालगत और ज्ञानगत सीमाओं में थे और इसीलिए उनकी व्याख्याएं इस सीमा का अतिक्रमण करने में सक्षम नहीं थी। उनके कहे को उनके काल सापेक्ष भी देखा जाना चाहिए, और उस विषय-विशेष पर हुए आगे के ऐतिहासिक विकास को जानना और समझना चाहिए।<br /><br />शुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-68643079102353020452014-02-23T14:28:08.184+05:302014-02-23T14:28:08.184+05:30एक बात तो समझ में आती है कि विकास, परिवर्तन का एक ...एक बात तो समझ में आती है कि विकास, परिवर्तन का एक रूप है और वह संख्यात्मक या गुणात्मक या दोनों के संयोग से निर्मित हो सकता है परन्तु प्रश्न यह उठता है कि विकास या परिवर्तन, किसी भौतिक संरचना के किस घटक को सबसे पहले प्रभावित करता है ? क्या उस पहले घटक के भी विकल्प मौजूद हैं या पहला घटक निर्धारित है ? या उन घटकों का क्रम निश्चित है ?<br />हम पायथागोरस जी के कथन से पूर्णतः सहमत हैं परन्तु फिर एक प्रश्न सामने है कि अंक कैसे निर्धारित हो रहा है ? मतलब कि हममें जो भिन्नता है वह किस चीज की संख्या में भिन्नता के कारण है ? और क्या वह सीमित है या उसमें भी विकास हो रहा है ? कौन सा कारक उसमे वृद्धि कर रहा है ?अज़ीज़ रायhttps://www.blogger.com/profile/09237300181352146572noreply@blogger.com