tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post1390777882802021640..comments2024-03-29T14:39:00.237+05:30Comments on समय के साये में: दर्शन की अध्ययन विधियां - द्वंदवाद और अधिभूतवादAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-20004144099836731772010-04-23T12:26:58.617+05:302010-04-23T12:26:58.617+05:30यक़ीनन आपका हर लेख काबिल-ए-तारीफ़ है ..शब्दों का इतन...यक़ीनन आपका हर लेख काबिल-ए-तारीफ़ है ..शब्दों का इतना सही और खूबसूरत प्रयोग ,ज्ञान परक ,सही मायने में दर्शननिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-30594888867212703912010-03-07T12:10:01.395+05:302010-03-07T12:10:01.395+05:30ताहम से निशांत जी की टिप्पणी:
इसी बात को आगे बढाक...ताहम से निशांत जी की टिप्पणी:<br /><br />इसी बात को आगे बढाकर यह कह सकते हैं कि, हेगेल के द्वंदवाद का भौतिकवादी पक्ष मार्क्स ने अपनाया और प्रत्ययवादी(प्रतीक रूप में) चिंतन क्षेत्र को मार्क्स ने भौतिकवादी तरीके से कटाक्ष करके उसे द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के रूप में स्पष्ट किया, जिसका मुख्य सरल सिद्धांत यह है की "प्रकृति की प्रत्येक घटना अंतर्विरोध का परिणाम है "....<br /><br />यह बात भी सही है.. "द्वंदवाद का उपयोग तो प्रत्ययवादी भी करते रहे हैं। हेगेल का द्वंदवाद भी अंततः प्रत्ययवादी था"Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-76226606560352056942009-09-24T01:05:05.958+05:302009-09-24T01:05:05.958+05:30धन्यवाद द्विवेदी जी,
समय यहां सिर्फ़ इन अध्ययन विधि...धन्यवाद द्विवेदी जी,<br />समय यहां सिर्फ़ इन अध्ययन विधियों को, जैसा कि अंततः सुपरिभाषित किया जा चुका है, समेकित कर रहा था। यहां दर्शन के इतिहास से गुजरने का अभिप्राय नहीं था।<br /><br />आपने सही कहा है, पर इसे ऐसे कहेंगे तो और ज़्यादा सही होगा:<br />‘द्वंदवाद का उपयोग तो प्रत्ययवादी भी करते रहे हैं। हेगेल का द्वंदवाद भी अंततः प्रत्ययवादी था...’।<br /><br />द्वंदवाद और अधिभूतवाद विरोधी प्रवृत्तियां है, जाहिर है दोनों साथ-साथ नहीं चल सकती। कभी-कभी अधिभूतवादी प्रवृत्तियां विश्लेषण के वक्त घटनाओं के पारस्परिक संबंधों, अंतर्द्वंदों व अंतर्क्रियाओं को थोड़ा बहुत ध्यान रखने की कोशिश करती प्रतीत होती हैं, जो कि द्वंदवादी तरीका है, पर वे ऐसा सतही तौर पर ही कर रही होती हैं। अगर वे ऐसा वाकई में कर रहीं होती तो क्या कारण हो सकता है कि वे वास्तविकता के यथार्थ परावर्तन तक नहीं पहुंच पाती।<br /><br />मार्क्स ने हेगेल के द्वंदवाद को लगभग जैसा था वैसा ही लेकर आगे विकसित किया और उसे प्रत्ययवादी उपागमों और निष्कर्षों से मुक्त किया। हेगेल की मान्यता थी कि विश्व विरोधी शक्तियों की अंतर्क्रियाओं के फलस्वरूप विकसित होता है, लेकिन उन्होंने इस विकास को एक निरपेक्ष प्रत्यय के, ‘विश्वात्मा’ या ‘विश्व बुद्धि’ से जोड़ दिया। फलतः उनका द्वंदवाद, प्रत्ययवादी हो जाता है।<br /><br />दूसरी बात में आप सही इशारा कर रहे हैं, जैसे कि फ़ायरबाख़ का अपना भौतिकवाद अधिभूतवादी था।<br /><br />यह प्रश्न समझ नहीं आया कि आपका अभिप्रायः क्या है:<br />‘ऐसे में अधिभूतवादी दार्शनिक प्रणालियों को द्वंदवादी प्रणालियाँ कहना उचित तो नहीं?’<br /><br />कृपया स्पष्ट करें।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-39069283239831951972009-09-23T09:10:02.766+05:302009-09-23T09:10:02.766+05:30द्वंदवाद का उपयोग तो अधिभूतवादी भी करते रहे हैं। ह...द्वंदवाद का उपयोग तो अधिभूतवादी भी करते रहे हैं। हेगेल का द्वंदवाद भी अधिभूतवादी था, जिस के लिए मार्क्स ने कहा था कि मैं ने हेगेल के सिर के बल खड़े द्वंदवाद को सीधा कर दिया है। दूसरी और बहुत सी भौतिकवादी दार्शनिक प्रणालियाँ द्वंदवादी नहीं हैं। <br />ऐसे में अधिभूतवादी दार्शनिक प्रणालियों को द्वंदवादी प्रणालियाँ कहना उचित तो नहीं?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-33443121944798188162009-09-20T11:23:54.028+05:302009-09-20T11:23:54.028+05:30आपके चिट्ठे को पढ़्कर चिट्ठों की गंभीर प्रकृति का अ...आपके चिट्ठे को पढ़्कर चिट्ठों की गंभीर प्रकृति का अंदाज लग जाता है । मन से पढ़ने वाली प्रविष्टि । पुनः पढ़कर ही कोई दृष्टि बन पायेगी । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com