tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post2548296429700220494..comments2024-03-29T14:39:00.237+05:30Comments on समय के साये में: यथास्थिति में बदलाव की आकांक्षा के प्रतीकAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-47431210942488526652013-06-09T09:06:31.477+05:302013-06-09T09:06:31.477+05:30.
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विवेकानंद इतने लोकप्रिय आदर्श बनकर इसलिए उभर....<br />.<br />.<br /><b>विवेकानंद इतने लोकप्रिय आदर्श बनकर इसलिए उभरते हैं कि वे भारतीय परंपरा और दर्शन के ही परिप्रेक्ष्य में यथास्थिति में बदलाव की आकांक्षा की अभिव्यक्ति हैं। यह यहां की ठेठ अनुकूलित मानसिकताओं को रास आती है जहां पुराने को छोड़े बिना, उसी के अंदर से अपने विद्रोह की प्रवृत्ति को बल दिया जा सकता है। सामान्य युवा जो यथास्थिति को सही नहीं पाते, और इसकी जकड़न में कसमसा रहे होते हैं, उनके आस-पास परिवेश में सिवाय आध्यात्मिक गुटकों के सिवाय कोई दृष्टिकोणीय, वैचारिक चिंतन उपलब्ध नहीं होता, और ये गुटके कोई व्यावहारिक निष्कर्ष निकालने में असमर्थ होते हैं। इसी आध्यात्मिक परिवेश में से ही कहीं-कहीं उपलब्ध उन्हें विवेकानंद की पुस्तकें भी मिल जाती हैं जिनसे वे उसी आध्यात्मिक सुकून के संदर्भों में पढ़ते है पर यहां उन्हें अपनी बदलाव की, परिवर्तन की आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिलती है, उनकी वैचारिक तार्किकता और पुष्टि मिलती है। यही कारण है कि स्वतस्फूर्त रूप से विकसित हुई अधिकतर परिवर्तनकामी मानसिकताएं विवेकानंद के आदर्शों के बीच से, और उनके ज़रिए ही आगे की राह ढूंढ़ने की कवायदों में लगती हैं।</b><br /><br />जी हाँ, स्वामी विवेकानंद का दर्शन-चिंतन निश्चित तौर पर पुराने आद्यात्मिक गुटकों से एक कदम आगे का है... पर अपने दौर के समाज की सीमाओं के चलते उससे तारतम्य रखते हुऐ बहुत ज्यादा तेज न चलने की उनकी सप्रयास चाह व असामयिक निधन के कारण उनका सफर अधूरा ही रह गया...<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4323557767491605220.post-69137017228423227792013-06-08T22:01:21.036+05:302013-06-08T22:01:21.036+05:30सुन्दर सार्थक पोस्ट .आभार .
सार्थक पोस्ट .आभ...<br /> सुन्दर सार्थक पोस्ट .आभार .<br /><br /><br /><br />सार्थक पोस्ट .आभार <br /><a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE" rel="nofollow">हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.com