हे मानवश्रेष्ठों,
यहां पर मनोविज्ञान पर कुछ सामग्री लगातार एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है। पिछली बार हमने संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को समझने की कड़ी के रूप में स्मृति की प्रक्रियाओं पर विचार किया था, इस बार हम स्मरण पर चर्चा करेंगे।
यह ध्यान में रहे ही कि यहां सिर्फ़ उपलब्ध ज्ञान का समेकन मात्र किया जा रहा है, जिसमें समय अपनी पच्चीकारी के निमित्त मात्र उपस्थित है।
स्मरण स्मृति की वह प्रक्रिया है, जिसमें नयी सामग्री को पहले के ज्ञान तथा अनुभव से जोड़कर उसका ( नयी सामग्री का ) स्थायीकरण किया जाता है। मनुष्य के अनुभव को नये ज्ञान और व्यवहार के नये रूपों से संपुष्ट बनाने की यह एक आवश्यक शर्त है। स्मरण हमेशा चयनात्मक ( selective ) होता है : हमें उसका थोड़ा-सा ही हिस्सा याद रहता है, जो हमारी ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करता है। इस चयनात्मकता का आधार क्या है?
स्मरण और क्रिया
प्रयोगों ने दिखाया है कि सामान्यतः स्मरण और विशेषतः अनैच्छिक स्मरण वस्तु के संबंध में मनुष्य की क्रियाओं के सहज उत्पाद होते हैं।
इस बार इतना ही।
जाहिर है, एक वस्तुपरक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गुजरना हमारे लिए कई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है, हमें एक बेहतर मनुष्य बनाने में हमारी मदद कर सकता है।
शुक्रिया।
समय
यहां पर मनोविज्ञान पर कुछ सामग्री लगातार एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है। पिछली बार हमने संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को समझने की कड़ी के रूप में स्मृति की प्रक्रियाओं पर विचार किया था, इस बार हम स्मरण पर चर्चा करेंगे।
यह ध्यान में रहे ही कि यहां सिर्फ़ उपलब्ध ज्ञान का समेकन मात्र किया जा रहा है, जिसमें समय अपनी पच्चीकारी के निमित्त मात्र उपस्थित है।
स्मरण
( memorization )
( memorization )
स्मरण स्मृति की वह प्रक्रिया है, जिसमें नयी सामग्री को पहले के ज्ञान तथा अनुभव से जोड़कर उसका ( नयी सामग्री का ) स्थायीकरण किया जाता है। मनुष्य के अनुभव को नये ज्ञान और व्यवहार के नये रूपों से संपुष्ट बनाने की यह एक आवश्यक शर्त है। स्मरण हमेशा चयनात्मक ( selective ) होता है : हमें उसका थोड़ा-सा ही हिस्सा याद रहता है, जो हमारी ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करता है। इस चयनात्मकता का आधार क्या है?
स्मरण और क्रिया
प्रयोगों ने दिखाया है कि सामान्यतः स्मरण और विशेषतः अनैच्छिक स्मरण वस्तु के संबंध में मनुष्य की क्रियाओं के सहज उत्पाद होते हैं।
एक प्रयोग में कुछ छात्रों से विभिन्न वस्तुओं के चित्रों का वर्गीकरण करने को कहा गया। हर चित्र को एक निश्चित क्रमांक भी दिया गया था। प्रयोग के बाद छात्रों से पूछा गया कि चित्रों में उन्होंने क्या देखा था। पता चला कि उन्हें वस्तुएं तो ठीक याद रहीं, किंतु क्रमांकों को उन्होंने लगभग अनदेखा कर दिया था ( कुछ ने तो कहा कि उन्होंने क्रमांक देखे ही नहीं)। दूसरे प्रयोग में उन्हें चित्रों को उनके आकार तथा क्रमांक के अनुसार आरोही क्रम में रखना था। इस बार परिणाम बिल्कुल विपरीत रहा : क्रमांक तो याद कर लिये गये थे, जबकि वस्तुओं को लगभग पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया था।
इस तरह मनुष्य अपनी स्मृति में केवल उसी चीज़ को अंकित करता है, जो उसकी सक्रियता से संबंध रखती है। व्यावहारिक और श्रम संबंधी क्रियाओंवाले प्रयोगों से भी यही नियमसंगति प्रकट हुई।
उपरोक्त तथ्य दिखाते हैं कि घटनाओं ( चित्रों, क्रमांकों ) की साधारण संलग्नता ( involvement ) ही मनुष्य द्वारा उन्हें याद करने के लिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है। सब कुछ इस बात पत निर्भर होता है कि मनुष्य दत्त सामग्री का क्या कर रहा है। स्वभाविकतः सक्रियता की बाह्य परिस्थितियां समान होने से अलग-अलग व्यक्तियों के मामले में स्मरण के परिणाम समान नहीं होंगे, क्योंकि इन परिस्थितियों और स्मरण की प्रक्रिया के बीच में हमेशा मनुष्य का विगत अनुभव और उसकी वैयक्तिकता ( individuality ) मौजूद रहते हैं। किंतु इस तरह के भेद, मनुष्य की हर क्रिया को उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के संदर्भ में, यानि उसके अभिप्रेरकों, लक्ष्यों तथा उनकी प्राप्ति के तरीक़ों की विशिष्टता के संदर्भ में देखने की आवश्यकता पर ही ज़ोर देते हैं।
स्मरण की प्रक्रिया के प्राचल ( parameter ) मनुष्य की सक्रियता के अभिप्रेरकों, लक्ष्यों तथा तरीक़ों से निर्धारित होते हैं। स्मृति की सक्रियतासापेक्ष संकल्पना ( activity-related concept of memory ) का यही सारतत्व है और स्मृति संबंधी सभी अनुसंधानों में इस तथ्य को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह संकल्पना स्मरण की प्रक्रिया के सभी रूपों तथा आरंभिक स्तर, यानि अल्पकालिक स्मरण ( short-term memorization ) समेत सभी चरणों के लक्षण-वर्णन के लिए सही परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
अगली बार हम अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मरण पर चर्चा जारी रखेंगे।
उपरोक्त तथ्य दिखाते हैं कि घटनाओं ( चित्रों, क्रमांकों ) की साधारण संलग्नता ( involvement ) ही मनुष्य द्वारा उन्हें याद करने के लिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है। सब कुछ इस बात पत निर्भर होता है कि मनुष्य दत्त सामग्री का क्या कर रहा है। स्वभाविकतः सक्रियता की बाह्य परिस्थितियां समान होने से अलग-अलग व्यक्तियों के मामले में स्मरण के परिणाम समान नहीं होंगे, क्योंकि इन परिस्थितियों और स्मरण की प्रक्रिया के बीच में हमेशा मनुष्य का विगत अनुभव और उसकी वैयक्तिकता ( individuality ) मौजूद रहते हैं। किंतु इस तरह के भेद, मनुष्य की हर क्रिया को उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के संदर्भ में, यानि उसके अभिप्रेरकों, लक्ष्यों तथा उनकी प्राप्ति के तरीक़ों की विशिष्टता के संदर्भ में देखने की आवश्यकता पर ही ज़ोर देते हैं।
स्मरण की प्रक्रिया के प्राचल ( parameter ) मनुष्य की सक्रियता के अभिप्रेरकों, लक्ष्यों तथा तरीक़ों से निर्धारित होते हैं। स्मृति की सक्रियतासापेक्ष संकल्पना ( activity-related concept of memory ) का यही सारतत्व है और स्मृति संबंधी सभी अनुसंधानों में इस तथ्य को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह संकल्पना स्मरण की प्रक्रिया के सभी रूपों तथा आरंभिक स्तर, यानि अल्पकालिक स्मरण ( short-term memorization ) समेत सभी चरणों के लक्षण-वर्णन के लिए सही परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
अगली बार हम अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मरण पर चर्चा जारी रखेंगे।
इस बार इतना ही।
जाहिर है, एक वस्तुपरक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गुजरना हमारे लिए कई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है, हमें एक बेहतर मनुष्य बनाने में हमारी मदद कर सकता है।
शुक्रिया।
समय
1 टिप्पणियां:
“भूलना भूल जाओगे” एन एल श्रमण के 50 वर्षों के निरन्तर अध्य्यन,अनुभव, शोध, संगति एव कल्पना का सार संग्रह है। यह स्मृति शास्त्र नहीं अपितु स्मृति शस्त्र है। निमोनिक्स ("NE-mon'-आईसीएस") स्पष्ट कृत्रिम उपादान की एक प्रणाली का उपयोग कर स्मृति की सहायता करने की कला है । नियमों, वाक्यांशों, चित्र, संक्षिप्त कूट और अन्य विधियों की सहायता से नाम, तिथि, तथ्य और आंकड़े. आदि को याद रखने में मदद करता है। निमोनिक्स लोगों को जानकारी प्राप्त करने के लिए एक त्वरित-संदर्भ स्रोत या विशिष्ट विषयों के साथ मदद, और किसी के लिए सहायता का एक पुस्तकालय (शिक्षकों को विशेष रूप से) है।सामान्य में निमोनिक्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने इस विषय इसके उपयोग और प्रयोजन विस्तृतीकरण के लिए एक विस्तृत विवरण शामिल करने का प्रयत्न है। इस पुस्तक की विषय वस्तु में नागरिक शास्त्र, इतिहास, भूगोल, गणित, बीज गणित, रेखा गणित, ठोस ज्यामिति, ज्यामिति, भौतिक विज्ञान, रसायन बिज्ञान, हिन्दी अंग्रेजी भाषा व व्याकरण, खगोल विज्ञान, कृषि, वनस्पति शास्त्र, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, स्मृति शास्त्र, वेग गणित, इलेक्ट्रनिक्स, मीट्रिक प्रणाली वाणिज्य, अर्थशास्त्र व देश विदेश की जानकारी आदि के साथ-2 अन्य बहुमूल्य जानकारिया दी गयी हैं।
Mnemonics Neatly Eliminate Man's
Only Nemesis - InsufficientCerebral Storage"
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